सिखों के धार्मिक कार्यक्रम गुरु-ता गद्दी की तैयारियां जोरों पर

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  • Monday 27 October 2008
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  • श्रीकांत पाराशर
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  • बीदर, कर्नाटक।  सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के 300 वें प्रकाशोत्सव के मौके पर यहां मनाए जाने वाले विशेष कार्यक्रम गुरु-ता गद्दी (गुरु का स्थान) में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सहित देश भर से पांच लाख से अधिक सिख श्रध्दालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। यह कार्यक्रम 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा।

    गुरु नानक झीरा फाउंडेशन के सूत्रों ने आज बताया कि बीदर में आयोजित होने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम के पहले महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम सचखंड श्री हजूर अबचैनगर साहिब गुरुद्वारा की तरफ से आयोजित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सिखों के प्रथम धर्मगुरु नानक तथा अंतिम धर्मगुरु गोविंद सिंह ने भी नांदेड़ की यात्रा की थी। इसी कारण से नांदेड़ को सिख धर्मानुयायी अपना पवित्र तीर्थ स्थल मानते रहे हैं।

    नांदेड़ में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में विश्व भर के सभी देशों से लगभग 50 लाख सिख श्रध्दालुआें के भाग लेने की उम्मीद जताई जा रही है। यह श्रध्दालु गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशोत्सव के मौके पर नांदेड़ में मत्था टेकने के लिए आएंगे। वहां गुरु की प्रार्थना करने के बाद यह श्रध्दालु बीदर आकर 'गुरु नानक झीरा गुरुद्वारा' में भी पूजा-अर्चना करेंगे। माना जाता है कि बीदर में स्थित इस गुरुद्वारे में स्वयं गुरु गोविंद सिंह के चरण पड़े थे। इस पवित्र गुरुद्वारे के सूत्रों ने गुरु-ता गद्दी  के आयोजन का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने अत्याचारी मुगल शासकों के विरुध्द अपनी लड़ाई में मराठा शक्ति की मदद मांगने के लिए इस गुरुद्वारे में मराठा क्षत्रपों के साथ एक बैठक और मंत्रणा की थी। दुर्भाग्य से गुरु गोविंद सिंह अपने ही समर्थकों के हमले के शिकार हो गए। अक्टूबर 1708 में अपने अंतिम दिनों के दौरान उन्होंने आदेश दिया था कि सिख धर्मानुयायी गुरु ग्रंथ साहिब के उपदेशों को ही अपने गुरु के कथनों के रूप में मान्यता दें तथा किसी भी जीवित व्यक्ति को भविष्य में गुरु नहीं माना जाए। गुरु ग्रंथ साहिब को इस तरह मिली गुरु की मान्यता को स्मरण करते हुए गुरु-ता गद्दी उत्सव मनाया जा रहा है।

    उल्लेखनीय है कि गुरु नानक झीरा गुरुद्वारे में एक मीठे पानी का सोता मौजूद है जो श्रध्दालुओं द्वारा काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस गुरुद्वारे में आने वाले सिख श्रध्दालु इसके पानी को पवित्र मानते हैं तथा यह सोता पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। सिर्फ गुरु नानक झीरा गुरुद्वारा ही नहीं, बीदर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जनवादा गांव में भी सिखों का एक अन्य पवित्र गुरुद्वारा स्थित है। बताया जाता है कि जब गुरु गोविंद सिंह पंजाब से महाराष्ट्र के नांदेड़ की यात्रा पर पहुंचे थे तो उनके साथ माई भागोजी भी थीं। जनवादा गांव में ठहरने के दौरान माई भागोजी ने सिख गुरुओं के उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया था। वह सिख धर्म की पवित्रता के बारे में भी वहां के लोगों को बताया करती थीं। उनकी याद में जनवादा गांव में एक गुरुद्वारा बनाया गया है। इसका नाम भी माई भागोजी गुरुद्वारा ही है। इसका प्रबंधन बीदर के गुरु नानक झीरा गुरुद्वारा की गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा किया जाता है। इस गुरुद्वारे में वह स्थान विशेष तौर पर संरक्षित तथा विकसित किया गया है जहां माई भागोजी तप में लीन रहा करती थीं। इसे 'तपस्थल' कहा जाता है।

    गुरु ग्रंथ साहिब के 300 वें प्रकाशोत्सव के मौके पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम गुरु-ता गद्दी के विशेष अधिकारी मुनेश्वर ने कहा कि इस धार्मिक कार्यक्रम के दौरान गुरु नानक झीरा गुरुद्वारे में प्रवेश के लिए सभी रास्तों पर बेरोकटोक वाहनों का संचालन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के रात्रि ठहराव के लिए माई भागोजी गुरुद्वारे में खास व्यवस्था की गई है। इस कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल 18 अक्टूबर को बीदर का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने इस महा आयोजन की तैयारियों की समीक्षा भी की है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गुरु-ता गद्दी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आने वाले 50 हजार श्रध्दालुओं के लिए 1000 टेंटों का इंतजाम किया गया है तथा शहर के कई निजी स्कूलों और कॉलेजों से भी सहयोग मांगा गया है।श्रध्दालुओं को इन स्कूलों तथा कॉलेजों में भी ठहराया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए पूरे बीदर शहर को नए स्वरूप में सजाया गया है। मुख्य शहर से गुरु नानक झीरा गुरुद्वारे की तरफ जाने वाली सभी प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है तथा कई सड़कों का निर्माण नए सिरे से करवाया गया है। गुरुद्वारा परिसर के अंदर ही एक 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण भी करवाया गया है। श्रध्दालुओं को जरूरत पड़ने पर इस अस्पताल में उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं भी मिल सकेंगी।

    10 comments:

    दिनेशराय द्विवेदी said...

    दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ...
    दीवाली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

    गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

    आपको तथा आपके परिवार को दीपोत्सव की ढ़ेरों शुभकामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न रहें। यही मंगलकामना है।

    ghughutibasuti said...

    बीदर के इस गुरुद्वारे में मेरा भी जाना हुआ है । सुन्दर व स्वच्छ है सभी गुरुद्वारों की तरह । इस सूचना व लेख के लिए धन्यवाद ।
    दीपावली की शुभकामनाएं ।
    घुघूती बासूती

    Smart Indian said...

    दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

    प्रदीप मानोरिया said...

    अद्भुत प्रवाह है आपकी लेखनी का

    Vineeta Yashsavi said...

    achhi suhna dene ke liye dhnyawaad

    रवीन्द्र प्रभात said...

    बहुत सुंदर लिखा है.

    Anonymous said...

    banglore ke pahale hindi akhbar aadarsh patra ka mai 1986 me sampadak tha.patrkarita ki suruvat vahi se ki .yad aagaye ve din.
    tab bhi mai jansatta dopahar me aato bhej ker mangvata tha jiska aane jane ka kharch 9 rupaye aata tha.

    योगेन्द्र मौदगिल said...

    बेहतरीन सृजनात्मक प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें

    अजित वडनेरकर said...

    अच्छा लगा यहां आकर।
    नए साल की शुभकामनाएं....