क्षमा चाहता हूं

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  • Saturday 29 August 2009
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  • श्रीकांत पाराशर
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  • क्षमा चाहता हूं, ब्लॉग मित्रों से। काफी लंबे अरसे तक मैं ब्लॉग पर नहीं था, इसका मुझे अफसोस है। इस दौरान मैं आपकी अच्छी रचनाओं और विचारों से वंचित रहा। इधर आपको यह जानकर प्रसन्नता भी होगी कि मैं एक राष्ट्रीय स्तर की एक हिन्दी मासिक पत्रिका का प्रकाशन बेंगलूर से करने जा रहा हूं। विजया दशमी पर अक्टूबर का अंक (प्रवेशांक) लांच होगा। पत्रिका का नाम 'भारतीय ओपिनियन' है। इस पत्रिका में एक परिचर्चा में शामिल होने के लिए आपके विचार आमंत्रित करता हूं। मुझे प्रसन्नता होगी अगर आप अपने विचार एवं फोटो भेजेंगे।


    विषय- कैसे हों राजनेता, कैसी हो राजनीति?

    हम भारतवासियों को बड़ा गर्व होता है कि हम सबसे बड़े लोकतंत्र में रह रहे हैं परन्तु यह भी कटु सत्य है कि धीरे धीरे हमारे देश की राजनीति और राजनेताओं के स्तर में इतनी गिरावट आ चुकी है कि जनता न केवल इस स्थिति से उकता गई है बल्कि भले लोग तो घृणा सी करने लगे हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि आपकी नजर में हमारी राजनीति कैसी होनी चाहिए, राजनेता कैसे होने चाहिएं? क्या आपको लगता है कि जैसा आप सोचते हैं, वैसा संभव है? आज के जो हालात हैं उसके पीछे मूल कारण क्या हैं? इस स्थिति के लिए क्या जनता जिम्मेदार नहीं है? स्थिति में सुधार के उपाय बताएंगे?

    आपके विचार (लगभग 200 शब्दों तक-Upto 5th September) हमें लिख भेजें। साथ ही अपना फोटो भी भिजवाएं। भारतीय ओपिनियन पत्रिका में आपकी राय प्रकाशित कर हमें प्रसन्नता होगी।

    आपका नाम..................................................उम्र................

    आप क्या करते हैं ?..............................................................


    4 comments:

    अविनाश वाचस्पति said...

    श्रीकांत जी अच्‍छा विषय लिया है परिचर्चा के लिए। अवश्‍य विचार भेजूंगा।

    श्यामल सुमन said...

    श्रीकान्त भाई - बहुत दिनों से आपको खोज भी रहा था। चलिए देर से ही सही दुरुस्त आये। कबतक भेजना है?

    Smart Indian said...

    पाराशर जी, स्वागत है आपकी वापसी का. नयी पत्रिका के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं!

    अजय कुमार झा said...

    जी अविनाश भाई के पीछे पीछे हम भी आ जायेंगे जी..शुभकामनायें...