वायु सेना का आपूर्ति आदेश हासिल करने की होड़ में लॉकहीड-मार्टिन

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  • Tuesday 15 September 2009
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  • श्रीकांत पाराशर
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  • बेंगलूर। भारतीय वायुसेना ने इस वर्ष की शुरुआत में 126 मध्यम दूरी की क्षमता वाले मल्टी-रोल लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) की खरीदारी की मंशा जताई थी। इसकी मंशा में अपने लिए बेहतरीन कारोबारी अवसर देखते हुए दुनिया भर की अग्रणी रक्षा क्षेत्र की कंपनियों ने अपने-अपने उत्पाद वायु सेना को बेचने की कोशिश शुरू कर दी है। अमेरिका की विशालकाय विमानन कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अपने विशेष उत्पाद एफ-16 सुपर वाइपर को भारतीय वायुसेना की जरूरतों पर पूरी तरह से खरा उतरने वाला बताते हुए कहा कि यह लड़ाकू विमान अमेरिका में अत्यधिक सफल रहा है। यह भारतीय वायुसेना द्वारा घोषित सभी विशेषताओं से भरा है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने तो यहां तक विश्वास जताया कि यह विमान भारतीय वायुसेना की अपेक्षा से भी बेहतर साबित होगा।
    सोमवार को यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए लॉकहीड मार्टिन के प्रमुख टेस्ट पायलट जिम 'बेन्सन' हेज ने कहा कि सुपर वाइपर विमान अद्वितीय लड़ाकू विमान है। पूरी दुनिया इसे पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान मानती है। यह विमान विश्व की सभी वायुसेनाओं के बीच धरोहर के रूप में देखे जानेवाले दो सफलतम विमानों एफ-35 लाइटनिंग 2 तथा एफ 22 रैप्टर की तरह सफल माना जाता है। उन्होंने कहा, 'यह अद्वितीय लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना द्वारा घोषित स्तरों पर पूरी तरह से खरा उतरेगा तथा उनमें से कई मानदंडों को तो यह विमान पार भी कर लेगा। यह विमान भारतीय वायुसेना के पास उपलब्ध मूलभूत ढांचे पर बिल्कुल फिट बैठेगा तथा सेना इसका उपयोग तत्काल शुरू कर सकेगी।'
    उल्लेखनीय है कि लॉकहीड-मार्टिन के एफ-16 सुपर वाइपर विमानों की यहां एक सप्ताह लंबी चली जांच की प्रक्रिया पूरी हो गई है। यह इस विमान के पहले चरण की जांच बताई गई है। यह बेंगलूर से उड़ान भरकर आगे की जांच के लिए राजस्थान के जैसलमेर जिले में पहुंचेगा। वहां विशेष तापमान की स्थिति में इसकी कार्यक्षमता की जांच की जाएगी। जांच का तीसरा चरण लेह (लद्दाख) में पूरा किया जाएगा। लेह में यह पता किया जाएगा कि अत्यधिक ऊंचाइयों में यह विमान कितनी कुशलता के साथ अपनी अपेक्षित जिम्मेदारियां निभा सकेगा। इस विमान से पहले एक अन्य अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एफ-18/ए सुपर हॉर्नेट की मारक तथा आक्रामक क्षमताओं का प्रदर्शन भी बेंगलूर में किया जा चुका है।
    वायुसेना से आपूर्ति आदेश हासिल करने की उम्मीद बांधे कतार में खड़ी दुनिया की अन्य कंपनियों तथा उनके उत्पादों में ईएडीएस का यूरोफाइटर टाइफून, रूस निर्मित मिग-35, एसएएबी एवं रैफाले द्वारा निर्मित ग्रिपेन जैसे अत्याधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमान शामिल हैं। इन प्रतियोगियों से आगे निकलने का प्रयास करते हुए लॉकहीड-मार्टिन के वरिष्ठ प्रबंधक (अंतरराष्ट्रीय संवाद) जॉन गीज ने कहा कि एफ-16 सुपर वाइपर की यह खासियत भारत को विशेष आकर्षक लगेगी कि इसमें नए तकनीकी आविष्कारों को भी समायोजित करने की पर्याप्त संभावना है। उन्होंने कहा, 'इस विमान का वजन भारतीय वायुसेना का आपूर्ति आदेश प्राप्त करने के लिए चल रही प्रतियोगिता से कम है। यह मात्र 24 हजार पौंड वजन का विमान है। इसके इंजन 32 हजार पौंड का दबाव उत्पन्न करते हैं तथा यह एक ही साथ 8 हजार हथियार लेकर उड़ान भर सकता है।' उन्होंने इस तथ्य पर भी विशेष जोर दिया कि एफ-16 लड़ाकू विमानों ने अब तक अपनी जांच के लिए 13 लाख घंटों की उड़ान भरी है। इनमें से 4 लाख घंटे की उड़ान के दौरान इसकी लड़ाकू क्षमताओं की जांच की गई। उन्होंने कहा, 'लॉकहीड-मार्टिन अपने प्रत्येक ग्राहकों की जरूरतों को समझती है तथा उनके मुताबिक उच्चतम स्तर की तकनीकी क्षमता मुहैया करवाती है।'

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