फूलों के संसार की सैर करना न भूल जाएं

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  • Thursday 14 August 2008
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  • श्रीकांत पाराशर
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  • बेंगलूर शहर का बोटनिकल गार्डन 'लालबाग' केवल सुबह की सैर करने वालों के लिए ही खास नहीं है और न ही कभी कभार वहां के हरे-भरे पेड़ों के झुरमुट के नीचे बैठ सुस्ताने वालों के लिए। इन दिनों तो हर कोई एक बार लालबाग की सैर के लिए अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकाल ही रहा है क्योंकि लालबाग में लगी है राष्ट्रीय स्तर की एक पुष्प प्रदर्शनी। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगी यह प्रदर्शनी अत्यन्त मनमोहक है। बेंगलूर में रहते हुए कोई प्रकृति प्रेमी इस प्रदर्शनी का अवलोकन नहीं कर पाए तो उसके मन में एक कशिश ही रहेगी। प्रदर्शनी में लगभग 300 विविध प्रजातियों के पुष्प और लगभग 400 वैराइटियों के कैक्टस प्रदर्शित हैं। प्रदर्शनी को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है-पुष्प वाटिका पेवेलियन आर्गेनिक फार्मिंग पर केन्द्रित है जहां बहुरंगी मनोहारी पुष्प तो हैं ही, फलों और सब्जियों की कलात्मक कार्विंग भी दर्शनीय है। दूसरे, ऐतिहासिक धरोहरों पर केन्द्रित प्रभाग में विजयनगर साम्राज्य की याद दिलाते ऐतिहासिक महत्त्व के हम्पी स्टोन चेरियट पर से आंखें नहीं हटतीं। दो लाख से भी ज्यादा फूलों से इस रथ को हूबहू आकृति देने का प्रयास किया गया है। फूलों से ही तुंगभद्रा नदी के बहने का दृश्य प्रस्तुत किया गया है। इस सेक्सन में हर कलाकृति नयनाभिराम है। तीसरे, कैक्टस तो इतनी अद्भुत प्रजातियों में देखने को मिलेंगे कि आप दांतों तले अंगुली दबाए बिना नहीं रह सकते। बगीचे के ग्लास हाउस में जब फूलों को सजाया जाता है तो सोने में सुहागे का सा काम होता हैक्योंकि ग्लास हाउस का सौन्दर्य फूलों की सुन्दरता में चार चांद लगा देता है। प्रदर्शनी में फूलों से एक वीणा बनाई गई है तो फलों और सब्जियों से बने भगवान गणेश भी कम आकर्षक नहीं हैं। छोटे-छोटे बोन्साई पौधों पर से तो नजरें हटाने को मन ही नहीं करता। दूर दूर तक रंग बिरंगे पुष्पों से सजे ग्लास हाउस के बीच खड़े होकर जब आसपास के नजारे का अवलोकन करते हैं तो लगता है फूलों की किसी नई दुनिया में आ गए हैं। बच्चों, बड़ों सबके देखने लायक यह पुष्प प्रदर्शनी 17 अगस्त तक खुली है। रोज प्रातः 9 बजे से शाम 6 बजे तक इन नजारों को अपनी आंखों में कैद किया जा सकता है।

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